कुछ भूल रहा कुछ भूल चुका,
मेरे जख्मो का सागर सूख चुका,
अब तन्हाई की बात न कर,
मै अब तन्हाई से ऊब चुका..
जो साथ था वो छूट चुका,
जो प्यार था वो रूठ चुका,
अब बंधन की तू बात न कर,
मै अब हर बंधन से ऊब चुका..
जो सपना था वो टूट चुका,
जो अपना था वो रूठ चुका,
अब जीने की तू बात न कर,
मै अब इस जीवन से ऊब चुका.
मै अब इस जीवन से ऊब चुका…
Source from http://aakashtiwaary.jagranjunction.com
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